The forced lockdown and hesitancy in people also have put more importance to mobile health applications. At present, there are over 400,000 mHealth apps available in the app stores.
The Social Dilemma is an American docudrama that talks about the rising impact of the social media applications on human lives.
Podcasts advertisements are a sign of how the podcast industry has been flourishing, especially during the time of this pandemic, and as the pandemic continues, passionate groups are hitting the podcast world.
Social media has been proved to be successful in creating a democratic space in terms of giving platform to people from all walks of life, often blurring the boundaries of what is explored below the rural and urban divide.
Ed-tech companies became a bridge to in providing access to classes, assignments, e-learning among various other benefits for students.
Everything around us is adapting to the new world created by the pandemic and one must seize the opportunity at hand.
“बीमारी से लड़ें कि भूखमरी से. अच्छा किसको लगता है जान जोखिम में डाल कर खाना लेना. घर भी जाना चाहे तो उसके लिए भी पैसे नहीं हैं.”
दिल्ली में पंजीकृत मजदूरों की संख्या में लगातार कमी होने पर भी सवाल उठ रहे हैं। दिल्ली श्रम कल्याण बोर्ड में पंजीकृत हैं सिर्फ 46,000 पंजीकृत मजदूर जबकि 2015 में यह संख्या 3 लाख 17 हजार थी।
बिहार के पश्चिमी चंपारण के पचकहर गांव की 35 वर्षीय मनीषा देवी को राशन कार्ड में संशोधन के लिए आवेदन दिए हुए इस महीने की 27 तारीख को पूरे दो वर्ष हो जायेंगे, उन्हें अपने राशन कार्ड का अब तक इंतज़ार है. मनीषा कहती हैं, "राशन कार्ड के लिए चक्कर लगा-लगा कर थक गयी, अब तक राशन कार्ड बन कर नहीं आया".
लिंचिंग को लेकर सरकार के द्वारा उठाये जा रहे क़दम, सरकार की मंशा पर ही बड़े सवाल खड़े कर रहे हैं. क्या इन बदलावों से सरकार सच में लिंचिंग रोकना चाहती है या कुछ और?
लिंचिंग एक विशेष प्रकार की राजनीति से प्रभावित होती है, जिसका हल सोशल मीडिया के नियमों में बदलाव लाकर नहीं किया जा सकता.
सरकार को फेक न्यूज़ के तंत्र को रोकने के लिए अन्य प्रभावी उपायों पर ध्यान देना चाहिए, सोशल मीडिया में ऐसे बदलाव पत्रकारों को अधिक खतरे डाल सकते हैं.
लिंचिंग के संदर्भ में सरकार द्वारा किये जा रहे सोशल मीडिया के नियमों में बदलाव को लेकर आम आदमी असहज दिख रहे हैं. उन्हें डर है कि ऐसे बदलावों से उनकी निजता प्रभावित होगी.
सोशल मीडिया के नियमों में किये जा रहे बदलावों में अस्पष्टता के कारण अभिव्यक्ति की आज़ादी से लेकर निजता तक तमाम तरह के सवाल उठ रहे हैं.